NCP Supremo Sharad Pawar and Maharashtra CM Uddhav Thackeray.
Highlights
- राज्य के खुफिया विभाग ने 2 महीने पहले ही सूचना दे दी थी।
- 10 से 12 विधायकों की बगावत की खबर को उद्धव ने हल्के में लिया था।
- इन 2 महीनों के दौरान सराकर राज ठाकरे और रवि राणा जैसे नेताओं में उलझी रही।
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली MVA सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि उद्धव को बगावत के बारे में खबर नहीं थी, लेकिन उन्होंने शायद इसे ज्यादा तवज्जो देना ठीक नहीं समझा था। सूत्रों के मुताबिक, 2 महीने पहले ही SID यानी कि स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ-साथ गृह मंत्रालय को इस बात की खबर दी थी कि शिवसेना के 10 से 12 विधायक सरकार से बगावत कर सकते हैं।
उद्धव ठाकरे ने सूचना को हल्के में लिया था
SID ने बताया था कि मुंबई के पश्चिमी उपनगर सहित थाने और रायगढ़ जिले सहित कई अन्य जिलों के विधायक लगातार बीजेपी नेताओं के संपर्क में हैं। हालांकि SID ने अपनी रिपोर्ट में सीधे तौर पर एकनाथ शिंदे का जिक्र नहीं किया था, लेकिन उस वक्त गृह मंत्रालय सहित खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस बात को बहुत हल्के में लिया था। सरकार का ध्यान उस समय राज्य में चल रही बाकी गतिविधियों जैसे स्थानीय नेताओं के खिलाफ कार्रवाई और प्रोटेस्ट आदि में लगा रहा।
बगावत के बाद खुली उद्धव सरकार की नींद
महाराष्ट्र सरकार ने SID की सूचना पर शायद इसलिए भी इस पर ध्यान नहीं दिया कि अगर 10-12 विधायक चले भी जाते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, और वह रवि राणा, राज ठाकरे और मोहित कम्बोज जैसे नेताओं के मामले में उलझी रही। इसी बीच 10 से 12 विधायकों के गुट को विरोधी ग्रुप लगातार बढ़ाया गया। बता दें कि 20 जून को विधायकों के ‘नॉट रीचेबल’ होने पर सरकार ने खुफिया विभाग को कटघरे में खड़ा किया था और सीएम आवास वर्षा में कमिश्नर की पेशी तक हुई थी। इस मामले में पवार ने भी गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल से सवाल-जवाब किया था।