आपको रामयण का किरदार कुंभकरण तो याद ही होगा जो 6 महीनों तक सोता रहता था. रामायण सीरियल में जब उसे जगाने के लिए लंका की सेना जाती है तो वो उसके कान के पास ढोल-नगाड़े भी बजाते हैं मगर उसकी नींद नहीं खुलती. ऐसा सिर्फ कुंभकरण के साथ ही नहीं, आम इंसानों के साथ भी होता है. कई बार हम इतनी गहरी नींद (Why can’t people hear in their sleep) में सोते हैं कि हमें फोन की आवाजें, या आसपास का शोरगुल नहीं सुनाई देता. पर क्या आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है?
ये सवाल काफी रहस्यमयी लगता है कि अगर विज्ञान ये दावा करता है कि सोते वक्त भी हमारे दिमाग का एक हिस्सा सचेत रहता है तो फिर हमें नींद में आवाजें क्यों नहीं सुनाई (why we cannot hear during sleep) देतीं. इसके पीछे हमारे दिमाग का ही एक मायाजाल है. दिमाग ही ये तय करता है कि सोते वक्त किस आवाज से उठना है और किससे नहीं. दिमाग ही बताता है कि कब उठना है और कब सोते रहना है.
नींद में आवाजें कानों तक क्यों नहीं जातीं?
द कनवर्सेशन वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार दिमाग ये तय करता है कि किस तरह की आवाजों (sound during sleep) पर हमें उठा देना है और सचेत कर देना है. आमतौर पर तेज आवाजों पर दिमाग रिसपॉन्ड करता है और इंसान को उठा देता है. धीमी आवाजों से हमें फर्क नहीं पड़ता. इस वजह से घड़ी की टिक-टिक में इंसान सो लेता है, उसे वो आवाजें नहीं उठातीं मगर सोते वक्त कोई धातु की चीज गिरा दे तो उससे होने वाली आवाज से नींद खुल जाती है.
दिमाग का है पूरा खेल
दिमाग को पता रहता है कि कौन सी आवाजें महत्वपूर्ण हैं और कौन सी नहीं. जब कोई अजीबोगरीब आवाज सुनाई पड़ती है तो दिमाग हमें अलर्ट करता है. दिमाग की इसी खूबी के कारण पुराने वक्त में जब लोग जंगलों में रहते थे तो जंगली जानवरों से खुद को बचा पाते थे क्योंकि दिमाग उन्हें खतरनाक आवाजों के लिए सचेत कर देता था. इसके अलावा दिमाग हमें तब भी सचेत कर देता है जब हमारा नाम लिया जाता है. अगर सोते समय किसी और का नाम लिया जा रहा हो तो दिमाग हमें नहीं सचेत करता है. नींद खुलना हमारी गहरी नींद पर भी निर्भर करता है. एक रात में हम करीब 6 स्लीप साइकल से होकर गुजरते हैं. यानी वो दौर जब हमें सबसे गहरी नींद आती है और वो दौर जब हमारी नींद सबसे ज्यादा कच्ची होती है. रात को सोते वक्त शुरुआती घंटों में हमारी नींद सबसे ज्यादा गहरी होती है. उसके बाद नींद हल्की होने लगती है. हल्की नींद में इंसान की आंख जरा सी आवाज में भी खुल जाती है. आवाज पहचानने की दिमाग की ये कला ही इंसान को गहरी नींद लेने में मदद करती है. अगर इंसान नींद में बिल्कुल भी आवाजें ना सुन पाता तो उसके लिए बहुत खतरनाक होता और अगर हर आवाज पर वो उठ जाता तो भी उसके लिए जी पाना मुश्किल होता.
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FIRST PUBLISHED : June 20, 2022, 16:56 IST